Hindi: Basic SEO for Beginners

Master the Foundations of Search Engine Optimization

पाठ 1: SEO क्या है?

SEO की परिभाषा

SEO (Search Engine Optimization) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके जरिए हम अपनी वेबसाइट और ऑनलाइन कंटेंट को इस तरह से ऑप्टिमाइज़ करते हैं कि वह Google, Bing जैसे सर्च इंजनों में ऊपर रैंक करे।

सीधे शब्दों में कहें तो SEO वह तरीका है जिससे आप सही ऑडियंस तक फ्री में पहुंच सकते हैं, जब वे लोग आपके प्रोडक्ट या सर्विस से जुड़ी जानकारी गूगल पर सर्च करते हैं।

उदाहरण: अगर कोई "अहमदाबाद में बेस्ट डिजिटल मार्केटिंग एक्सपर्ट" सर्च करता है और आपकी वेबसाइट टॉप 3 रिज़ल्ट्स में आती है, तो वह आपके वेबसाइट पर क्लिक करने की संभावना ज़्यादा होती है।

SEO क्यों ज़रूरी है?

  • फ्री ट्रैफिक: SEO आपको बिना पैसे खर्च किए वेबसाइट पर विज़िटर लाता है।

  • लंबे समय का फायदा: एक बार रैंक होने के बाद, आपकी साइट लगातार ट्रैफिक लाती रहती है।

  • विश्वसनीयता: टॉप पोजिशन पर आने वाली वेबसाइट को लोग ज्यादा भरोसेमंद मानते हैं।

  • 24x7 काम करता है: SEO आपके लिए दिन-रात काम करता है, चाहे आप ऑनलाइन हों या नहीं।

  • यूज़र एक्सपीरियंस में सुधार: SEO करते समय आपकी साइट फास्ट, मोबाइल-फ्रेंडली और आसान बनती है।

वास्तविक उदाहरण

मान लीजिए आप छत्रपती संभाजीनगर में बेकरी चलाते हैं। अगर आपकी वेबसाइट “छत्रपती संभाजीनगर में बेस्ट केक शॉप” जैसे कीवर्ड पर रैंक करती है, तो लोग गूगल से सीधे आपकी दुकान तक पहुंच सकते हैं – बिना किसी एड पर पैसे खर्च किए।


पाठ 2: SEO बनाम PPC

PPC क्या है?

PPC (Pay Per Click) एक ऑनलाइन विज्ञापन प्रणाली है जिसमें आपको हर क्लिक के पैसे देने होते हैं। उदाहरण के लिए, Google Ads।

SEO (ऑर्गेनिक)PPC (पेड)
फ्री ट्रैफिकपेड ट्रैफिक
धीरे-धीरे ग्रोथतुरंत रिज़ल्ट
लंबे समय तक असरदारबजट खत्म तो ट्रैफिक खत्म
भरोसा और ब्रांड बनाता हैविज्ञापन के रूप में दिखता है
SEO सीखने में वक्त लगता हैपैसे दो, तुरंत रिज़ल्ट पाओ

कौन बेहतर है?

  • SEO - अगर आप लंबे समय तक ऑनलाइन बने रहना चाहते हैं।

  • PPC - अगर आपको तुरंत विज़िटर चाहिए।

स्मार्ट ब्रांड्स दोनों का उपयोग करते हैं।


पाठ 3: सर्च इंजन कैसे काम करता है?

Google जैसे सर्च इंजन 3 मुख्य चरणों में काम करते हैं:

1. Crawling (वेबपेज खोजना)

Google के बोट्स (जिन्हें क्रॉलर या स्पाइडर कहा जाता है) इंटरनेट पर घूमते हैं और नई वेबसाइट्स व पेजेस ढूंढते हैं।

2. Indexing (डेटा सेव करना)

जब कोई पेज मिल जाता है, तो उसे गूगल के डेटाबेस में सेव किया जाता है। इसमें टेक्स्ट, कीवर्ड्स, इमेज, लिंक्स आदि की जांच होती है।

3. Ranking (रिज़ल्ट दिखाना)

जब कोई यूज़र कुछ सर्च करता है, तो गूगल अपना इंडेक्स चेक करता है और सबसे सटीक और उपयोगी पेजेस को पहले दिखाता है।

Google का मकसद क्या है?

Google हमेशा यह चाहता है कि वह यूज़र को सबसे बढ़िया और भरोसेमंद जानकारी जल्दी दे।

इसके लिए वह उन्हीं वेबसाइट्स को ऊपर दिखाता है जो:

  • जल्दी लोड होती हैं

  • मोबाइल पर सही दिखती हैं

  • काम की जानकारी देती हैं

  • नेविगेट करने में आसान होती हैं


पाठ 4: Google क्या चाहता है?

Google के 200 से ज़्यादा रैंकिंग फैक्टर हैं, लेकिन मुख्य रूप से ये बातें सबसे जरूरी हैं:

1. क्वालिटी कंटेंट

ऐसा कंटेंट जो यूज़र के सवालों का सही और आसान जवाब दे।

2. कीवर्ड और यूज़र इंटेंट

कंटेंट यूज़र की ज़रूरत से मेल खाना चाहिए।

3. अथॉरिटी

अगर कई अच्छी वेबसाइट्स आपके पेज का लिंक दे रही हैं, तो गूगल आपको ट्रस्ट करता है।

4. यूज़र एक्सपीरियंस

  • साइट फास्ट हो

  • मोबाइल फ्रेंडली हो

  • क्लियर डिज़ाइन और नेविगेशन हो

5. HTTPS सिक्योरिटी

गूगल उन वेबसाइट्स को प्राथमिकता देता है जिनके पास SSL (HTTPS) होता है।

टिप: अगर आप अपने विज़िटर्स का ख्याल रखते हैं, तो Google आपका ख्याल रखेगा।


पाठ 5: SEO के प्रकार

SEO को चार प्रमुख भागों में बाँटा जाता है। एक अच्छी वेबसाइट इन सभी में बैलेंस बनाती है।

1. On-Page SEO

आपकी वेबसाइट पर किया जाने वाला ऑप्टिमाइज़ेशन:

  • सही कीवर्ड्स का इस्तेमाल

  • टाइटल, मेटा डिस्क्रिप्शन का सुधार

  • हैडिंग टैग्स (H1, H2 आदि)

  • कंटेंट स्ट्रक्चर

  • इमेज ऑप्टिमाइज़ेशन

उदाहरण: “बेस्ट डिजिटल मार्केटिंग कोर्स इन इंडिया” कीवर्ड को ब्लॉग में सही जगह रखना।

2. Off-Page SEO

दूसरी वेबसाइट्स आपकी साइट के बारे में क्या कहती हैं:

  • बैकलिंक्स

  • सोशल मीडिया शेयरिंग

  • ऑनलाइन रिव्यूज़

उदाहरण: किसी मशहूर वेबसाइट से लिंक मिलना आपके SEO को बढ़ावा देता है।

3. Technical SEO

वेबसाइट का टेक्निकल हिस्सा जो गूगल को आपकी साइट को अच्छे से समझने और इंडेक्स करने में मदद करता है:

  • साइट स्पीड

  • मोबाइल फ्रेंडली डिज़ाइन

  • Robots.txt और Sitemap

  • डुप्लिकेट कंटेंट हटाना

  • SSL सर्टिफिकेट

उदाहरण: अगर आपकी साइट बहुत धीरे लोड होती है, तो रैंकिंग नीचे जा सकती है।

4. Local SEO

अगर आपका बिज़नेस लोकल लेवल पर काम करता है (जैसे कि रियल एस्टेट एजेंट या सैलून), तो Local SEO जरूरी है:

  • Google My Business लिस्टिंग बनाना और ऑप्टिमाइज़ करना

  • लोकल डायरेक्टरी में रजिस्ट्रेशन (Justdial, IndiaMart)

  • कस्टमर रिव्यूज़

उदाहरण: "अहमदाबाद में रियल एस्टेट एजेंट" जैसे सर्च में दिखना।


मॉड्यूल 1 का सारांश

इस मॉड्यूल के बाद, अब आप जानते हैं:

  • SEO क्या है और क्यों ज़रूरी है?

  • SEO और PPC में क्या अंतर है?

  • Google और अन्य सर्च इंजन कैसे काम करते हैं?

  • Google किस टाइप की वेबसाइट को पसंद करता है?

  • SEO के कितने प्रकार होते हैं और वे कैसे काम करते हैं?

अध्याय 4: कीवर्ड को समझना

कीवर्ड क्या होते हैं?

कीवर्ड वे शब्द या वाक्यांश होते हैं जिन्हें लोग गूगल या अन्य सर्च इंजनों में टाइप करते हैं जब उन्हें किसी चीज़ की जानकारी चाहिए होती है।

उदाहरण:

  • "डिजिटल मार्केटिंग कोर्स इंडिया में"

  • "सस्ती जूतियां ऑनलाइन"

  • "कैसे वजन कम करें"

यह सब कीवर्ड हैं। यदि आप जान जाएंगे कि लोग क्या खोज रहे हैं, तो आप वैसा कंटेंट बना सकते हैं और Google में रैंक कर सकते हैं।


Short-tail vs. Long-tail Keywords

1. शॉर्ट-टेल कीवर्ड (Short-tail)

  • बहुत सामान्य और छोटे होते हैं (1–2 शब्द)।

  • उदाहरण: SEO, शूज़, मार्केटिंग

  • इनका सर्च वॉल्यूम ज्यादा होता है, लेकिन प्रतिस्पर्धा भी बहुत ज़्यादा होती है।

लाभ: ज़्यादा ट्रैफ़िक
हानि: कम टारगेटेड, कठिन रैंकिंग

2. लॉन्ग-टेल कीवर्ड (Long-tail)

  • ज़्यादा स्पेसिफिक होते हैं, आमतौर पर 3 या अधिक शब्दों वाले।

  • उदाहरण: बेस्ट SEO कोर्स शुरुआती लोगों के लिए, 2000 रुपए में सफेद जूते खरीदें

  • कम सर्च वॉल्यूम लेकिन उच्च कन्वर्जन रेट होता है।

लाभ: टारगेटेड ऑडियंस, आसान रैंकिंग
हानि: ट्रैफ़िक कम

सलाह: शुरुआत में Long-tail कीवर्ड पर फोकस करें — जल्दी रैंक मिलेगा और सही लोग आएंगे।


सर्च इंटेंट को समझना (Search Intent)

हर सर्च के पीछे एक इरादा (Intent) होता है — इसे जानना ज़रूरी है ताकि आप उस हिसाब से कीवर्ड चुन सकें।

1. जानकारी वाला (Informational)

  • यूज़र कुछ सीखना चाहता है।

  • उदाहरण: SEO कैसे करें, डिजिटल मार्केटिंग क्या है

  • इस्तेमाल: ब्लॉग, गाइड, How-To लेख

2. नेविगेशनल (Navigational)

  • यूज़र किसी विशेष वेबसाइट या ब्रांड पर जाना चाहता है।

  • उदाहरण: Facebook login, Flipkart Shoes, Swapnil Kankute blog

  • इस्तेमाल: ब्रांड कीवर्ड

3. ट्रांजेक्शनल (Transactional)

  • यूज़र कुछ खरीदने या बुक करने की सोच रहा है।

  • उदाहरण: सस्ती फ्लाइट टिकट, SEO सर्विसेज इंडिया में

  • इस्तेमाल: प्रोडक्ट पेज, सर्विस पेज, लैंडिंग पेज

सलाह: अपने बिज़नेस के लिए इन तीनों तरह के कीवर्ड का बैलेंस बनाएं।


अध्याय 5: कीवर्ड रिसर्च कैसे करें (Free Tools)

SEO सीखने वालों के लिए यह खुशखबरी है कि कीवर्ड रिसर्च करने के लिए बहुत सारे फ्री टूल्स उपलब्ध हैं।


1. Google Keyword Planner

  • यह गूगल एड्स का फ्री टूल है।

  • इसमें आप कीवर्ड का सर्च वॉल्यूम, प्रतिस्पर्धा और ट्रेंड देख सकते हैं।

  • जगह और भाषा के अनुसार फ़िल्टर कर सकते हैं।

कैसे इस्तेमाल करें:

  • ads.google.com पर जाएं

  • Keyword Planner में कीवर्ड डालें

  • Related कीवर्ड और उनकी डिटेल्स देखें


2. Ubersuggest

  • बहुत आसान और लोकप्रिय टूल है।

  • यह SEO difficulty, keyword ideas, content suggestions भी देता है।

वेबसाइट: ubersuggest.com


3. AnswerThePublic

  • यह टूल सवालों और लोगों के सर्च पैटर्न दिखाता है।

  • ब्लॉग टॉपिक और FAQ बनाने के लिए बेस्ट है।

उदाहरण: यदि आप सर्च करें "डिजिटल मार्केटिंग", तो यह दिखाएगा:

  • डिजिटल मार्केटिंग क्या है?

  • डिजिटल मार्केटिंग कैसे करें?

  • डिजिटल मार्केटिंग बनाम पारंपरिक मार्केटिंग

वेबसाइट: answerthepublic.com


4. Google Auto Suggest & People Also Ask

  • गूगल की सर्च बार में कुछ टाइप करें — गूगल खुद सुझाव देगा।

  • सर्च रिज़ल्ट के बीच में “People Also Ask” बॉक्स आता है — वहां से आइडियाज लें।


5. Google Trends

  • दो कीवर्ड की तुलना करें और देखें कौन सा ज़्यादा पॉपुलर है।

  • Seasonal और Trending टॉपिक्स के लिए बहुत काम का टूल है।

उदाहरण: Diwali gifts vs Christmas decorations

वेबसाइट: trends.google.com


अपने बिज़नेस के लिए सही कीवर्ड कैसे चुनें?

अब सवाल आता है: इतने सारे कीवर्ड्स में से सही कीवर्ड कैसे चुनें?


1. Search Volume (सर्च वॉल्यूम)

  • यह दिखाता है कि हर महीने कितने लोग उस कीवर्ड को सर्च करते हैं।

  • ज़्यादा वॉल्यूम = ज़्यादा ट्रैफ़िक की संभावना


2. Competition (प्रतिस्पर्धा)

  • यह बताता है कि उस कीवर्ड पर कितनी साइट्स पहले से रैंक कर रही हैं।

  • High competition वाले कीवर्ड पर रैंक करना मुश्किल होता है।

उदाहरण (Ubersuggest स्कोर):

  • 0–30: आसान

  • 30–60: मध्यम

  • 60+: कठिन

शुरुआती लोगों को Low या Medium competition वाले कीवर्ड चुनने चाहिए।


3. Relevance (प्रासंगिकता)

  • कीवर्ड आपके बिज़नेस और टारगेट ऑडियंस के लिए relevant होना चाहिए।

  • ट्रैफ़िक जरूरी है, लेकिन सही ट्रैफ़िक उससे भी ज़्यादा जरूरी है।

उदाहरण:

  • कीवर्ड: Free SEO audit tool

  • यदि आप SEO सर्विसेज बेच रहे हैं, तो यह अच्छा कीवर्ड है क्योंकि लोग पहले फ्री ऑडिट देखना चाहेंगे।


4. User Intent के अनुसार कंटेंट तैयार करें

  • जो कीवर्ड आपने चुना है, उसका उद्देश्य (Intent) समझें और वैसा कंटेंट बनाएं।

उदाहरण:

  • कीवर्ड: ब्लॉग कैसे शुरू करें → गाइड या ब्लॉग लेख

  • कीवर्ड: बेस्ट होस्टिंग इंडिया → तुलना या रिव्यू आर्टिकल


मॉड्यूल 2 का निष्कर्ष

इस मॉड्यूल में आपने सीखा:

  • कीवर्ड क्या हैं और SEO में उनका महत्व

  • शॉर्ट-टेल और लॉन्ग-टेल कीवर्ड में क्या अंतर है

  • सर्च इंटेंट कैसे समझें

  • फ्री टूल्स से कीवर्ड रिसर्च कैसे करें

  • अपने बिज़नेस के लिए सही कीवर्ड कैसे चुनें

On-Page SEO का मतलब है आपकी वेबसाइट के अंदर मौजूद हर उस चीज़ को ऑप्टिमाइज़ करना जो सीधे तौर पर आपकी गूगल रैंकिंग को प्रभावित करती है — जैसे कि टाइटल, मेटा डिस्क्रिप्शन, हेडिंग्स, इमेज, कंटेंट और URL।

जब आप ऑन-पेज SEO को सही तरीके से अपनाते हैं, तो आपकी वेबसाइट न सिर्फ सर्च इंजन के लिए समझने में आसान होती है, बल्कि यूज़र्स को भी बेहतर अनुभव देती है।


अध्याय 7: टाइटल टैग्स, मेटा डिस्क्रिप्शन और URL स्ट्रक्चर


1. टाइटल टैग (SEO शीर्षक)

यह वो लाइन होती है जो गूगल सर्च रिज़ल्ट में सबसे पहले दिखती है। यह बताती है कि आपकी वेबपेज किस बारे में है।

बेस्ट प्रैक्टिस:

  • 60 कैरेक्टर से कम रखें

  • मुख्य कीवर्ड की शुरुआत में इस्तेमाल करें

  • आकर्षक और क्लिक-योग्य बनाएँ

  • हर पेज पर यूनिक हो

उदाहरण:

  • ग़लत: “Home”

  • सही: “फ्री SEO कोर्स हिंदी में – शुरुआत से सीखें”


2. मेटा डिस्क्रिप्शन

मेटा डिस्क्रिप्शन वह छोटा परिचय होता है जो सर्च रिज़ल्ट में टाइटल के नीचे आता है।

बेस्ट प्रैक्टिस:

  • 155 कैरेक्टर से कम रखें

  • मुख्य कीवर्ड शामिल करें

  • यूज़र को क्लिक करने के लिए प्रेरित करें

उदाहरण:

इस कोर्स में जानिए SEO की बेसिक बातें, कीवर्ड रिसर्च, रैंकिंग टिप्स और वेबसाइट ट्रैफिक बढ़ाने के तरीके।


3. SEO फ्रेंडली URL

वेबपेज का URL भी सर्च इंजन के लिए संकेत देता है कि पेज किस बारे में है।

बेस्ट प्रैक्टिस:

  • छोटा और सरल रखें

  • कीवर्ड शामिल करें

  • हाइफ़न (-) का इस्तेमाल करें, अंडरस्कोर (_) नहीं

  • बेकार के नंबर या शब्द न डालें

उदाहरण:

  • ग़लत: www.example.com/page1?id=543

  • सही: www.example.com/seo-shuruaat-ke-liye


अध्याय 8: हेडर टैग्स और कंटेंट फॉर्मैटिंग


1. हेडिंग टैग्स (H1, H2, H3)

हेडिंग्स आपकी कंटेंट को स्ट्रक्चर देती हैं और गूगल को ये समझने में मदद करती हैं कि कौन सा हिस्सा सबसे महत्वपूर्ण है।

  • H1 – मुख्य शीर्षक (हर पेज पर सिर्फ एक बार)

  • H2 – सेक्शन के टाइटल

  • H3 – H2 के सब-टॉपिक

उदाहरण:

yaml
H1: SEO क्या है? H2: SEO के प्रकार H3: ऑन-पेज SEO H3: ऑफ-पेज SEO

2. स्कैन करने योग्य फॉर्मैटिंग (Skimmable Formatting)

ऑनलाइन पढ़ने वाले लोग स्कैन करते हैं। इसलिए:

  • छोटे पैराग्राफ बनाएं

  • लिस्ट और बुलेट्स का इस्तेमाल करें

  • ज़रूरी शब्दों को बोल्ड करें

  • हेडिंग्स और सबहेडिंग्स डालें

Bonus: लंबी पोस्ट के लिए Table of Contents डालें।


अध्याय 9: SEO कंटेंट राइटिंग के बेसिक्स


1. कीवर्ड प्लेसमेंट

आपका मुख्य कीवर्ड इन हिस्सों में ज़रूर होना चाहिए:

  • टाइटल टैग

  • मेटा डिस्क्रिप्शन

  • पहले 100 शब्दों में

  • कम से कम एक H2 या H3 हेडिंग में

  • इमेज के Alt टेक्स्ट में

  • URL में (यदि संभव हो)


2. कीवर्ड डेंसिटी (Keyword Density)

आपके कीवर्ड का कंटेंट में कितनी बार उपयोग हुआ — यह डेंसिटी कहलाती है।

  • आदर्श: 0.5% से 1.5%

  • ज्यादा कीवर्ड इस्तेमाल न करें (Keyword Stuffing से बचें)


3. कंटेंट की लंबाई

Google अक्सर लंबा, गहराई से लिखा हुआ कंटेंट ज़्यादा रैंक करता है।

  • कम से कम 800 शब्द, और ज़रूरत अनुसार 2000+ शब्द रखें

  • यूज़र के सवाल का पूरा और अच्छा जवाब दें


4. इंटरनल लिंकिंग (Internal Linking)

अपने वेबसाइट के अन्य पेजेस से लिंक करें:

  • यूज़र को दूसरी ज़रूरी जानकारी तक पहुँचाएं

  • बाउंस रेट घटाएं

  • गूगल को वेबसाइट का स्ट्रक्चर समझने में मदद करें

उदाहरण:

कीवर्ड रिसर्च के बारे में जानने के लिए पढ़ें मॉड्यूल 2: कीवर्ड रिसर्च


अध्याय 10: इमेज ऑप्टिमाइज़ेशन


1. Alt टेक्स्ट (Alternative Text)

यह टेक्स्ट गूगल और स्क्रीन रीडर को बताता है कि इमेज में क्या है।

बेस्ट प्रैक्टिस:

  • इमेज का सरल और सटीक विवरण दें

  • कीवर्ड प्राकृतिक रूप से शामिल करें

उदाहरण:

  • Alt टेक्स्ट: लैपटॉप पर SEO रिपोर्ट पढ़ती महिला


2. इमेज फाइल का नाम

इमेज अपलोड करने से पहले उसका नाम सही रखें।

  • ग़लत: IMG_1234.jpg

  • सही: seo-report-checklist.jpg


3. इमेज साइज और कंप्रेशन

बड़ी इमेज वेबसाइट को स्लो करती है, जिससे रैंकिंग पर असर पड़ता है।

उपयोगी टूल्स:

  • TinyPNG, Squoosh, ImageOptim

लक्ष्य: 100KB से कम साइज की इमेज, गुणवत्ता खराब किए बिना।


4. मोबाइल रेस्पॉन्सिव इमेज

आपकी इमेज सभी डिवाइसेज़ पर सही दिखनी चाहिए। CSS या थीम सेटिंग्स में width: 100% का इस्तेमाल करें।


मॉड्यूल 3 का निष्कर्ष

इस अध्याय में आपने सीखा:

✅ टाइटल टैग्स और मेटा डिस्क्रिप्शन कैसे बनाएं
✅ SEO फ्रेंडली URLs कैसे रखें
✅ हेडिंग्स का सही उपयोग कैसे करें
✅ कंटेंट में कीवर्ड को सही तरीके से कैसे प्लेस करें
✅ इमेज को कैसे ऑप्टिमाइज़ करें

अब आप जानते हैं कि एक पेज को SEO के लिए पूरी तरह कैसे तैयार किया जाता है

तकनीकी SEO आपकी वेबसाइट के उन तत्वों को अनुकूलित करने के बारे में है जो सीधे तौर पर कंटेंट से जुड़े नहीं होते, लेकिन सर्च इंजनों को आपकी वेबसाइट को समझने, क्रॉल करने, और इंडेक्स करने में मदद करते हैं।

एक मजबूत तकनीकी आधार सुनिश्चित करता है कि आपके कंटेंट को गूगल सही तरह से देखे, रैंक करे और यूज़र्स तक पहुँचाए।


अध्याय 11: वेबसाइट स्पीड ऑप्टिमाइज़ेशन


वेबसाइट स्पीड क्यों जरूरी है?

  • Google की रैंकिंग में साइट स्पीड एक महत्वपूर्ण फैक्टर है।

  • धीमी वेबसाइट से यूज़र्स बाउंस कर जाते हैं यानी साइट छोड़ देते हैं।

  • एक सेकंड की देरी:

    • 11% कम पेज व्यूज़

    • 7% कम कन्वर्ज़न

    • 16% यूज़र सैटिस्फैक्शन में गिरावट


स्पीड चेक करने के टूल्स

1. Google PageSpeed Insights

  • मोबाइल और डेस्कटॉप दोनों के लिए स्कोर देता है।

  • परफॉर्मेंस सुधार के सुझाव देता है।

👉 वेबसाइट: https://pagespeed.web.dev

2. GTmetrix

  • लोडिंग स्टेप्स की डीटेल रिपोर्ट देता है।

  • CSS, JS, और इमेज जैसी चीज़ों के कारण वेबसाइट स्लो हो रही हो तो दिखाता है।

👉 वेबसाइट: https://gtmetrix.com


स्पीड सुधारने के तरीके:

  • इमेज को Compress करें (WebP या TinyPNG का इस्तेमाल करें)

  • CSS, JavaScript और HTML को मिनिफाइ करें

  • Cache का इस्तेमाल करें

  • तेज़ होस्टिंग और CDN (Content Delivery Network) लगाएँ

  • वीडियो या हेवी एनिमेशन से बचें

✅ लक्ष्य रखें कि वेबसाइट 3 सेकंड से कम समय में लोड हो।


अध्याय 12: मोबाइल फर्स्ट इंडेक्सिंग और मोबाइल ऑप्टिमाइज़ेशन


मोबाइल फर्स्ट इंडेक्सिंग क्या है?

  • Google अब वेबसाइट की मोबाइल वर्ज़न को पहले इंडेक्स करता है।

  • अगर मोबाइल साइट अधूरी है, तो रैंकिंग गिर सकती है।


मोबाइल ऑप्टिमाइज़ेशन के तरीके:

  • Responsive डिजाइन का इस्तेमाल करें

  • Pop-ups, Flash जैसी चीज़ें न लगाएँ

  • टेक्स्ट पढ़ने योग्य हो, बटन सही दूरी पर हों

  • 3G/4G नेटवर्क पर भी वेबसाइट जल्दी खुले

👉 Google का मोबाइल फ्रेंडली टेस्ट: https://search.google.com/test/mobile-friendly


SEO के लिए क्यों जरूरी है?

  • 70% से ज्यादा ट्रैफिक अब मोबाइल से आता है

  • मोबाइल फ्रेंडली वेबसाइट्स को गूगल में प्राथमिकता मिलती है

  • यूज़र अनुभव बेहतर होता है


अध्याय 13: Sitemap, Robots.txt और Indexing


1. Sitemap.xml क्या है?

  • यह एक फ़ाइल होती है जिसमें आपकी वेबसाइट के सभी ज़रूरी पेजेज़ की लिस्ट होती है।

  • यह सर्च इंजनों को बताती है कि कौन-कौन से पेज इंडेक्स करने हैं।

✅ इसे Google Search Console में सबमिट करें।

👉 Yoast SEO जैसे टूल से आसानी से जेनरेट किया जा सकता है।


2. Robots.txt क्या है?

  • यह सर्च बॉट्स को निर्देश देता है कि वेबसाइट का कौन सा हिस्सा क्रॉल करना है और कौन सा नहीं।

उदाहरण:

pgsql
User-agent: * Disallow: /admin/ Allow: /admin/public-page/

⚠️ गलत निर्देश देने से गूगल ज़रूरी पेज क्रॉल नहीं करेगा — ध्यान रखें।


3. गूगल में कैसे सबमिट करें?

  • Google Search Console में लॉगिन करें

  • Sitemap सेक्शन में जाकर अपनी sitemap.xml फ़ाइल का URL डालें

  • पेज को मैन्युअली इंडेक्स करने के लिए URL Inspection Tool का उपयोग करें


अध्याय 14: HTTPS और वेबसाइट सुरक्षा


HTTPS क्या है?

  • HTTPS का मतलब है Hypertext Transfer Protocol Secure

  • यह वेबसाइट और यूज़र के बीच डाटा को एन्क्रिप्ट करता है

  • यह वेबसाइट को सुरक्षित और भरोसेमंद बनाता है


SEO के लिए HTTPS क्यों जरूरी है?

  • Google HTTPS वेबसाइट्स को प्राथमिकता देता है

  • यूज़र्स को ब्राउज़र में लॉक आइकन दिखता है (सुरक्षा का प्रतीक)

  • वेबसाइट पर लॉगिन या पेमेंट जैसे सेफ़ एक्शन में मदद करता है

  • HTTP से HTTPS पर 301 रीडायरेक्ट करें

👉 SSL फ्री में पाने के लिए Let's Encrypt का इस्तेमाल करें।


HTTPS लागू करने के चरण:

  1. SSL सर्टिफिकेट इंस्टॉल करें

  2. HTTP से HTTPS रीडायरेक्ट करें

  3. सभी URLs, आंतरिक लिंक्स, साईटमैप और कैनॉनिकल टैग्स को अपडेट करें

  4. Google Search Console में HTTPS वर्जन ऐड करें


मॉड्यूल 4 का सारांश:

इस मॉड्यूल में आपने सीखा कि कैसे तकनीकी SEO आपके कंटेंट को सही ढंग से गूगल तक पहुँचाता है।

आपने क्या सीखा:

  • वेबसाइट स्पीड को कैसे मापें और सुधारें

  • मोबाइल फर्स्ट इंडेक्सिंग के महत्व को

  • साइटमैप और robots.txt का सही उपयोग

  • HTTPS और SSL की ज़रूरत

ऑन-पेज और तकनीकी SEO आपकी वेबसाइट के अंदर की चीजों पर केंद्रित होता है, लेकिन ऑफ-पेज SEO उन सभी गतिविधियों को कवर करता है जो आपकी वेबसाइट के बाहर होती हैं और आपकी रैंकिंग को प्रभावित करती हैं।

इस मॉड्यूल में आप सीखेंगे कि कैसे बैकलिंक (Backlink) बनाए जाते हैं, उनका SEO में क्या महत्व है, और सोशल सिग्नल्स (Social Signals) SEO को कैसे प्रभावित करते हैं।


चैप्टर 15: बैकलिंक क्या है और क्यों ज़रूरी है?


बैकलिंक क्या होता है?

जब कोई दूसरी वेबसाइट आपकी वेबसाइट के लिंक को अपने कंटेंट में जोड़ती है, तो उसे बैकलिंक कहा जाता है। यह एक तरह से आपके कंटेंट के लिए सिफारिश (recommendation) की तरह काम करता है।


SEO में बैकलिंक क्यों जरूरी हैं?

  • Google के अनुसार बैकलिंक एक टॉप रैंकिंग फैक्टर है।

  • अच्छे बैकलिंक्स से आपकी वेबसाइट को अथॉरिटी मिलती है।

  • यह Google को आपकी वेबसाइट को तेजी से क्रॉल और इंडेक्स करने में मदद करता है।

  • बैकलिंक्स के जरिए रेफरल ट्रैफिक भी मिलता है।


बैकलिंक्स के प्रकार

1. DoFollow बैकलिंक

  • SEO वैल्यू पास करते हैं।

  • आपकी वेबसाइट की रैंकिंग बढ़ाने में मदद करते हैं।

2. NoFollow बैकलिंक

  • SEO वैल्यू पास नहीं करते (rel="nofollow" टैग होता है)।

  • लेकिन ब्रांड अवेयरनेस और ट्रैफिक में मदद करते हैं।

दोनों ही प्रकार के बैकलिंक्स SEO के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन DoFollow अधिक उपयोगी होते हैं।


अच्छे बनाम खराब बैकलिंक

अच्छे बैकलिंकखराब बैकलिंक
ट्रस्टेड वेबसाइट से आते हैंस्पैमी या अनरिलेटेड साइट से आते हैं
रिलेटेड टॉपिक से जुड़े होते हैंबेमतलब कंटेंट से लिंक होते हैं
नैचुरल तरीके से मिलते हैंखरीदे हुए या लिंक स्कीम का हिस्सा होते हैं

चैप्टर 16: क्वालिटी बैकलिंक्स कैसे बनाएं (शुरुआती स्तर)


1. लोकल बिजनेस डायरेक्टरी में लिस्ट करें

अपनी वेबसाइट को इन लोकप्रिय डायरेक्टरीज़ में जोड़ें:

  • Google Business Profile

  • JustDial

  • Sulekha

  • IndiaMart

  • Yelp

यह सभी SEO में मदद करते हैं और लोकल ग्राहकों तक पहुँच बनाते हैं।


2. गेस्ट ब्लॉगिंग करें

दूसरी वेबसाइट्स पर गेस्ट पोस्ट लिखें और उसमें अपनी वेबसाइट का लिंक जोड़ें।

ध्यान रहे: मूल और उपयोगी कंटेंट ही लिखें, जिससे लोग उसे शेयर करें।


3. सोशल बुकमार्किंग साइट्स

  • Reddit

  • Mix

  • Digg

  • Scoop.it

  • Slashdot

ये प्लेटफॉर्म भले ही NoFollow बैकलिंक्स दें, लेकिन ट्रैफिक और व्यूज़ बढ़ाने में मदद करते हैं।


4. ब्लॉग कमेंटिंग (सावधानी से करें)

अपने इंडस्ट्री से जुड़े ब्लॉग्स पर वैल्यू-एडेड कमेंट करें और वहां लिंक शेयर करें।

स्पैम न करें, सिर्फ तभी लिंक शेयर करें जब वह प्रासंगिक हो।


5. सोशल मीडिया पर शेयर करें

अपने आर्टिकल्स और पेजेस को इन प्लेटफॉर्म्स पर शेयर करें:

  • Facebook

  • LinkedIn

  • Twitter (X)

  • Pinterest

ये लिंक भले ही NoFollow हों, लेकिन ये आपकी वेबसाइट को वायरल होने का मौका देते हैं।


चैप्टर 17: सोशल सिग्नल्स और SEO


सोशल सिग्नल्स क्या हैं?

सोशल सिग्नल्स वो गतिविधियाँ हैं जो सोशल मीडिया पर होती हैं जैसे:

  • लाइक्स

  • शेयर

  • कमेंट्स

  • मेंशन

  • रिट्वीट्स


सोशल मीडिया SEO में कैसे मदद करता है?

  • आपकी वेबसाइट और कंटेंट को ज्यादा लोगों तक पहुँचाता है

  • ब्रांड अवेयरनेस बढ़ाता है

  • ज्यादा ट्रैफिक लाकर बैकलिंक्स बनने की संभावना बढ़ाता है

  • गूगल ट्रेंड्स और ब्रांड मेंशन के ज़रिए अप्रत्यक्ष रूप से रैंकिंग को बढ़ाता है


सोशल सिग्नल्स बढ़ाने के आसान उपाय

  • अपने ब्लॉग पर शेयर बटन जोड़ें

  • शेयर करने लायक टाइटल और इमेज बनाएं

  • कंटेंट को वीडियो, रील्स या इनफोग्राफिक्स में बदलिए

  • इंस्टाग्राम और ट्विटर पर हैशटैग का सही उपयोग करें


SEO के लिए बेस्ट सोशल प्लेटफॉर्म

  • YouTube – गूगल का प्रोडक्ट है, लॉन्ग-टर्म SEO के लिए बेस्ट

  • LinkedIn – B2B SEO और प्रोफेशनल नेटवर्किंग के लिए प्रभावशाली

  • Twitter (X) – ब्रांड मेंशन और रीयल-टाइम एंगेजमेंट

  • Pinterest – Evergreen कंटेंट के लिए शानदार


इस मॉड्यूल का सारांश

ऑफ-पेज SEO में समय लगता है, लेकिन ये आपके SEO को दीर्घकालिक मजबूती देता है।


आपने क्या सीखा:

  • बैकलिंक क्या होता है और SEO में इसका महत्व

  • DoFollow और NoFollow बैकलिंक में फर्क

  • फ्री और सरल तरीकों से बैकलिंक्स कैसे बनाएं

  • सोशल मीडिया का SEO पर क्या प्रभाव होता है

स्थानीय SEO का मकसद आपकी वेबसाइट या व्यापार को स्थानीय खोज परिणामों (जैसे "मेरे पास पेस्ट कंट्रोल", "धुले में कपड़ों की दुकान") में ऊपर लाना है।
यह Google Maps, “Near Me” खोजों, और लोकल कस्टमर ट्रैफिक लाने के लिए जरूरी है।


अध्याय 18: Google My Business सेटअप करना (अब Google Business Profile)

Google Business Profile (GBP) क्या है?

यह Google द्वारा दी गई एक फ्री लिस्टिंग सर्विस है जो आपकी दुकान या सेवा को:

  • Google Search

  • Google Maps

  • Local Pack (टॉप 3 परिणाम)

में दिखाती है।


आपकी प्रोफाइल में शामिल जानकारी:

  • व्यवसाय का नाम

  • पता

  • मोबाइल नंबर

  • कार्य समय

  • वेबसाइट लिंक

  • फ़ोटो और रिव्यू


GBP कैसे बनाएं?

  1. वेबसाइट खोलें: https://www.google.com/business

  2. “Manage Now” पर क्लिक करें

  3. व्यवसाय की कैटेगरी चुनें (जैसे – "कपड़ों की दुकान", "डिजिटल मार्केटिंग सलाहकार")

  4. पता, संपर्क जानकारी भरें

  5. "Verify" के लिए Google आपके पते पर पोस्टकार्ड भेजेगा या कभी-कभी OTP देता है


Optimization Tips:

NAP Consistency (नाम, पता, मोबाइल नंबर)

  • हर जगह एक जैसी जानकारी होनी चाहिए (वेबसाइट, सोशल मीडिया, डायरेक्टरीज़)

प्रोफाइल पूरी तरह भरें

  • दुकान/सेवा की फोटो

  • सेवाएं और टाइमिंग

  • ऑफर्स और स्पेशल अपडेट

Google Posts का उपयोग करें

  • ऑफर, इवेंट्स, नए प्रोडक्ट्स की जानकारी देने के लिए

ज्यादा से ज्यादा रिव्यू जुटाएं

  • खुश ग्राहक से politely रिव्यू मांगें

  • रिव्यू का जवाब दें – चाहे अच्छा हो या बुरा


अध्याय 19: Local Citations और ऑनलाइन डायरेक्टरीज़

Local Citation क्या है?

जब आपके व्यापार का नाम, पता और फ़ोन नंबर किसी अन्य वेबसाइट पर दिखता है — उसे Local Citation कहते हैं। यह Google को बताता है कि आपका बिज़नेस असली और सक्रिय है।


भारत में टॉप लोकल लिस्टिंग प्लेटफॉर्म:

डायरेक्टरीविशेषता
Justdialअधिक ग्राहक कॉल्स, खासकर लोकल यूज़र्स से
Sulekhaसेवाओं के लिए खास प्लेटफॉर्म
IndiaMARTप्रोडक्ट या B2B के लिए बढ़िया
Facebook Pageब्रांडिंग के साथ-साथ लोकल रीच भी
TradeIndiaइंडस्ट्रियल और होलसेल बिज़नेस के लिए

सभी जगह पर एक जैसी NAP जानकारी देना बहुत जरूरी है।


Citations को ऑप्टिमाइज़ कैसे करें:

  • केवल भरोसेमंद वेबसाइट पर ही जानकारी दें

  • जानकारी अपडेट रखें

  • दोहराव वाली या गलत लिस्टिंग से बचें

  • एक जैसे फॉर्मेट में पता और मोबाइल नंबर लिखें


अध्याय 20: ऑनलाइन रिव्यू और प्रतिष्ठा प्रबंधन (Online Reviews & Reputation)

रिव्यू क्यों जरूरी हैं?

  • आपके लोकल SEO रैंकिंग को मजबूत करते हैं

  • ट्रस्ट बनाते हैं

  • ग्राहक को निर्णय लेने में मदद करते हैं

  • CTR बढ़ाते हैं (Search से Website पर क्लिक)


रिव्यू कैसे पाएं?

  • सेवा देने के बाद ग्राहक से WhatsApp/SMS द्वारा निवेदन करें

  • Google Review लिंक भेजें

  • दुकान पर QR कोड लगाएं

  • ईमानदारी से थैंक यू कूपन जैसे इंसेंटिव दे सकते हैं


रिव्यू कहां पाएं:

  • Google Business Profile

  • Facebook Page

  • Justdial, Sulekha, IndiaMART

  • आपकी इंडस्ट्री से जुड़ी अन्य वेबसाइट्स


नकारात्मक रिव्यू का जवाब कैसे दें:

  • नजरअंदाज न करें

  • विनम्रता से माफ़ी मांगें

  • समाधान की पेशकश करें

  • बात को प्रोफेशनली हैंडल करें

प्रोफेशनल रिप्लाई आपके ब्रांड की विश्वसनीयता को और बढ़ाता है।


मॉड्यूल 6 का निष्कर्ष

स्थानीय SEO, खासकर छोटे व्यवसायों और स्थानीय दुकानदारों के लिए सबसे फायदेमंद और फ्री मार्केटिंग तरीका है। इससे नजदीकी ग्राहक आपकी दुकान/सेवा को आसानी से पा सकते हैं।


आपने इस मॉड्यूल में सीखा:

  • Google Business Profile कैसे बनाएं और ऑप्टिमाइज़ करें

  • NAP Consistency का महत्व

  • भारत में टॉप लोकल डायरेक्टरीज़

  • Citation और Review का SEO में क्या योगदान है

  • ऑनलाइन प्रतिष्ठा को कैसे संभालें

SEO एक बार सेट करके छोड़ देने वाली प्रक्रिया नहीं है। वेबसाइट ऑप्टिमाइज़ करने के बाद यह जरूरी है कि आप उसे नियमित रूप से मॉनिटर करें, यूज़र बिहेवियर को समझें, और समय-समय पर समस्याएं सुधारें।

इस मॉड्यूल में आप सीखेंगे कि कैसे आप Google के फ्री टूल्स की मदद से अपनी वेबसाइट की SEO परफॉर्मेंस को ट्रैक कर सकते हैं।


Chapter 20: अपनी SEO प्रगति को ट्रैक करें


SEO ट्रैकिंग क्यों ज़रूरी है?

  • आप जान पाते हैं कि आपकी मेहनत का परिणाम मिल रहा है या नहीं

  • कौन से कीवर्ड ट्रैफिक ला रहे हैं, इसका पता चलता है

  • वेबसाइट की तकनीकी समस्याएं जल्दी पकड़ में आती हैं

  • जो स्ट्रैटेजी काम कर रही हैं, उन्हें और मजबूत किया जा सकता है


SEO ट्रैकिंग के लिए मुफ्त टूल्स


1. Google Search Console (GSC)

क्या करता है:

  • आपकी वेबसाइट की Google सर्च में परफॉर्मेंस ट्रैक करता है

  • कौन-कौन से कीवर्ड से ट्रैफिक आ रहा है यह दिखाता है

  • इंडेक्सिंग और मोबाइल से जुड़ी समस्याओं की जानकारी देता है

  • CTR (Click Through Rate), इम्प्रेशंस और रैंकिंग की जानकारी देता है

कैसे सेट करें:

  1. जाएं https://search.google.com/search-console

  2. अपनी वेबसाइट जोड़ें

  3. DNS या HTML टैग से वेरीफाई करें

महत्वपूर्ण रिपोर्ट्स:

  • Performance Report: कौन-कौन से कीवर्ड पर क्लिक मिल रहे हैं

  • Coverage Report: कौन-कौन से पेज Google में इंडेक्स हैं और कौन नहीं

  • Mobile Usability: मोबाइल फ्रेंडली है या नहीं

  • Sitemaps: XML साइटमैप सबमिट करें

  • Core Web Vitals: स्पीड और यूज़र अनुभव से जुड़ी रिपोर्ट


2. Google Analytics (GA4)

क्या करता है:

  • यूज़र्स कैसे आपकी साइट पर आते हैं और क्या करते हैं ये ट्रैक करता है

  • कौन से पेज सबसे ज़्यादा देखे जाते हैं

  • कौन से ट्रैफिक सोर्स से विज़िटर आ रहे हैं (Google, Social Media आदि)

  • वेबसाइट पर Conversions (जैसे फॉर्म भरना, कॉल करना) ट्रैक करता है

कैसे सेट करें:

  1. जाएं https://analytics.google.com

  2. GA4 प्रॉपर्टी बनाएं

  3. ट्रैकिंग कोड अपनी वेबसाइट में इंस्टॉल करें


3. Google Tag Manager (थोड़ा एडवांस)

  • क्लिक, स्क्रॉल, इवेंट आदि को बिना कोडिंग के ट्रैक करने में मदद करता है

  • एडवांस ट्रैकिंग सेटअप के लिए उपयोगी


बेसिक SEO ऑडिट कैसे करें (शुरुआती लेवल पर)

हर महीने एक SEO ऑडिट करने से वेबसाइट की हेल्थ बनी रहती है।


स्टेप 1: पेज इंडेक्सिंग चेक करें (GSC में)

  • GSC > “Pages” में जाकर चेक करें

  • कौन से URL इंडेक्स हुए हैं और कौन से नहीं

  • “Crawled – currently not indexed” जैसी समस्याओं को ठीक करें


स्टेप 2: कीवर्ड परफॉर्मेंस मॉनिटर करें

  • GSC के “Performance” सेक्शन में जाएं

  • कौन से क्वेरीज़ पर इम्प्रेशन, क्लिक मिल रहे हैं चेक करें

  • CTR कम है तो Title/Description को और बेहतर बनाएं


स्टेप 3: साइट स्पीड चेक करें

  • टूल: https://pagespeed.web.dev/

  • इमेज कम्प्रेशन, lazy loading, CSS-JS मिनिफाई जैसी सलाह को फॉलो करें


स्टेप 4: मोबाइल यूसेबिलिटी चेक करें

  • GSC में "Mobile Usability" सेक्शन में देखें

  • फॉन्ट साइज़, टच बटन आदि ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं


स्टेप 5: ब्रोकन लिंक खोजें

  • टूल्स: Broken Link Checker, Screaming Frog SEO Spider (Free version)

  • 404 errors को सुधारें या रीडायरेक्ट करें


स्टेप 6: मेटा टैग और कंटेंट को वेरिफाई करें

  • क्या सभी पेज का Title और Meta Description मौजूद है?

  • क्या कीवर्ड कंटेंट में नेचुरल रूप से शामिल हैं?


SEO रिपोर्टिंग कैसे करें (बेसिक गाइड)

हर महीने एक सिंपल रिपोर्ट बनाकर आप अपनी SEO प्रगति को ट्रैक कर सकते हैं।


SEO रिपोर्ट में क्या शामिल करें?

  • टोटल ऑर्गेनिक ट्रैफिक (Google Analytics से)

  • टॉप परफॉर्मिंग पेजेस (GSC रिपोर्ट से)

  • कीवर्ड रैंकिंग का बदलाव

  • वेबसाइट की स्पीड और मोबाइल रिपोर्ट

  • अगले महीने के लिए रेकमेंडेशन


रिपोर्टिंग के लिए फ्री टूल्स

  • Google Sheets + GSC डेटा एक्सपोर्ट

  • Canva में चार्ट बनाएं

  • Google Looker Studio से ऑटोमैटिक रिपोर्ट बनाएं


मॉड्यूल 7 का सारांश

SEO की सफलता को मापना और समझना बहुत जरूरी है। ये टूल्स और तकनीकें आपको SEO को मॉनिटर करने, सुधारने और रिटर्न बढ़ाने में मदद करेंगी।


आपने इस मॉड्यूल में सीखा:

  • Google Search Console और Google Analytics का उपयोग

  • हर महीने एक सिंपल SEO ऑडिट कैसे करें

  • कीवर्ड और पेज परफॉर्मेंस कैसे ट्रैक करें

  • एक SEO रिपोर्ट कैसे बनाएं

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